डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर का निधन :
डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर 1948 से मधुमेह की बीमारी से जूझ रहे थे, 1954 तक वो बहुत बीमार हो गए। अब इनको आंखों से भी कम दिखाई देने लग गया था। सारा दिन राजनीतिक मुद्दों में उलझे रहने के कारण भीमराव का स्वास्थ्य दिन-ब-दिन और भी खराब होता चला गया। 1955 में लगातार काम करने के कारण उनकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई। अपनी अंतिम पांडुलिपि भगवान बुद्ध और उनका धम्म को समाप्त करने के 3 दिन बाद 6 दिसंबर 1956 को डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर का निधन उनके घर दिल्ली में हो गया। देहांत के समय इनकी उम्र 64 वर्ष और 7 महीने थी।
विमान के जरिए उनका पार्थिव शरीर दिल्ली से मुंबई उनके घर राजगृह लाया गया।
बीपी बीएफ मुंबई में दादर चौपाटी समुद्र तट पर 7 दिसंबर को बौद्ध शैली के अनुसार डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान भीमराव के लाखों कार्यकर्ताओं समर्थकों और प्रशंसकों ने भाग लिया। उनके अंतिम संस्कार के समय उनके पार्थिव शरीर को साक्षी मानकर करीब 10 लाख से अधिक लोगों ने भदन्त आनन्द कौसल्यायन द्वारा बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी।
बाबा साहेब की मृत्यु के बाद उनके परिवार में उनकी पत्नी सविता आम्बेडकर रह गई थी। इनकी मृत्यु 29 मई सन 2003 में 94 वर्ष की आयु में हो गयी थी।
इनके पुत्र यशवंत आम्बेडकर और पौत्र प्रकाश आम्बेडकर अब भारिपा बहुजन महासंघ का नेतृत्व करते है।
भारत सरकार द्वारा मरणोपरांत 1990 में डॉ भीमराव आम्बेडकर को सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। आम्बेडकर जयंती पर पूरे भारत में सार्वजनिक अवकाश रखा जाता है।
प्रत्येक वर्ष करीबी 10 लाख से अधिक लोग महापरिनिर्वाण यानी पुण्यतिथि (6 दिसम्बर), जयंती (14 अप्रैल), और धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस (14 अक्टूबर)को चैत्यभूमि (मुंबई), दीक्षाभूमि (नागपूर) तथा भीम जन्मभूमि (महू) में उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इकट्ठे होते हैं।
आम्बेडकर का दलित लोगों के लिए संदेश था – “शिक्षित बनो, संघटित बनो, संघर्ष करो”।
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